Gandhi jayanti 2022: दोस्तो देश के राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त हमारे बापू महात्मा गांधी भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के महान क्रांतिकारी नेताओ में से एक है इनकी अहिंसा और बिना मार काट वाली राजनीती के सभी कायल थे गांधी जी के विचार और उनकी नीतिया अधिकतर महान क्रांतिकारियों के लिए तो कल्पना मात्र ही थी और इसपर विश्वास करना की इन नीतियों के तहत देश को आजादी दिलाई जा यह एक सुनहरा सपना जैसा लगता था.
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इस लेख में हम गांधी जी के जीवन को 10 वाक्यों के जरिये आपको समझाने की कोशिश की गयी है जिसमे गांधी गांधी जी के जीवन से जुड़े 10 रोचक बातें बताई गयी है जिन्हें हरेक भारतीय को जरुर जानना चाहिए, तो आइये जानते है गांधी जी के जीवन से जुडी क्या है वो रोचक बातें.
गांधी जयंती 2022: गांधी जी के जीवन से जुड़े 10 रोचक बातें

- भारत के लोग प्रत्येक वर्ष 02 अक्टूबर को गांधी जयंती (Gandhi Jayanti 2022) के रूप में मनाते है क्यों की इसी दिन 02 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म पोरबंदर अथवा सुदामापुरी में हुआ था जो की गुजरात में स्थित है.
- गांधी जी का जन्म एक वैष्णव परिवार में हुआ था जो दीवानी से तालुक रखता था उनके दादाजी उत्तमचंद अथवा ओता गांधी पोरबंदर के दीवान थे जिन्हें बाद में जूनागढ़ राज्य में जाना पड़ा था उनके पिता करमचंद गांधी भी एक दीवान थे जिन्हें पोरबंदर से राजकोट के एक स्थानीय कोर्ट में ट्रान्सफर कर दिया गया था शायद यही कारण था की गांधी जी में जन्म से ही अगुवाई और नेतृत्व की अनोखी क्षमता थी.
- गांधी जी ने लन्दन से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी जिसे आजकल की भाषा में वकालत भी बोलते है उन्होंने विदेश में अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया था जिसकी वजह से वह एक कुशल वक्ता के रूप में उभरे और उनकी बोलचाल में सम्मोहन की अनोखी कला का भी विकास हुआ शायद यही कारन था की जब गोपाल कृष्ण गोखले की मुलाकात गांधी जी से हुयी तब उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया था की भारत को गांधी जी ही आजादी दिला सकते है.
- गांधी जी ने एक मित्र के कहने पर भगवतगीता, बुद्धचरित और बाइबिल का पाठ किया जिसका उनके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा जिसको पढने के बाद गांधी जी को ज्ञान की प्राप्ति हुयी और इन धर्मग्रन्थो को पड़ने के बाद उन्होंने यह निष्कर्ष निकला की त्याग ही परम धर्म है और इससे बड़ा कोई धर्म नही है.
- गांधी जी जब बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त कर भारत पहुचे तब उनको जीविका के लिए इधर उधर भटकना पड़ा पहले उन्होंने मुंबई में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की पर काम में रूचि न आ पाने के कारन उन्होंने शिक्षक आदि बनने का निर्णय लिया मगर वह भी सफलता न मिली इसीबीच गांधी जी को अफ्रीका के एक अमीर सेठ का केस लड़ने के लिए अफ्रीका से न्योता आया और वह अफ्रीका के लिए रवाना हो गए, अफ्रीका में नश्ली भेदभाव और भारतीयों पर अत्याचार को उनसे न देखा गया जिसका मुहतोड़ जवाब देने के लिए उन्होंने नाताल इंडियन कांग्रेस नामक सस्था का निर्माण किया और सत्याग्रह आन्दोलन चलाया जिसमे उनको सफलता मिली यह आन्दोलन पूर्णतया अहिंसक आन्दोलन था जिसके बाद गांधी जी को यह विश्वास हो गया की बड़ी से बड़ी जंग भी बिना हथियारों के जीती जा सकती है जो बाद में चलकर भारतीय आन्दोलन में मील का पत्थर साबित हुयी.
- अफ्रीका में रहते हुए ही गांधी जी का विश्व में पहचान बन चुकी थी उनके द्वारा अहिंसा और अवज्ञा आन्दोलन वास्तव में एक अनोखी कला थी जिसने अफ्रीका में भारत के लोगो पर अत्याचार के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की थी.
- गांधी जी जब भारत लौटे तब उन्होंने कई छोटे मोटे आन्दोलन किये और उनमे सफलता हासिल किया जिनमे चंपारण, खेड़ा और खिलाफत आन्दोलन जो छोटे स्तर के आन्दोलन थे तथा असहयोग, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आन्दोलन एक बड़े स्तर के आन्दोलन थे गांधी जी के सभी आन्दोलन सत्याग्रह पर आधारित थे जिसका मतलब होता है सत्य का आग्रह यानी जो सत्य और सही है उसी का पालन होना चाहिए.
- गांधी जी को उनकी रामभक्ति के लिए भी जाना जाता है यह माना जाता है की वह बचपन में शर्मीले व्यक्तित्व के थे जो बहुत कम बोलते थे और मुश्किल से ही उनका कोई दोस्त बन पाता था उनको सांप और भूतो से भी दर लगता था जिसके लिए उनके यह काम करने वाली एक महिला ने उन्हें दर लगने पर रामनाम जपने की सलाह दी, धीरे धीरे वह रामभक्ति में इतना लीं हो गए की रामभक्ति उनके तन मन में समां गयी और अंत समय तक उनके मन मष्तिष्क में बाद गयी, जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या की तब उनके मुख से अंतिम शब्द थे ‘हे राम‘.
- गांधी जी का विचार था “मै संत के वेश में राजनेता नही हू लेकिन चुकी सत्य सर्वोच्च बुद्धिमता है इसलिए कभी कभी मेरे कार्य किसी शिर्सस्थ नेता से प्रतीत होते है मै समझता हु की सत्य और अहिंसा की नीति के अलावा मेरी कोई और नीति नही है मै अपने देश और अपने धर्म तक के उद्धार के लिए सत्य और अहिंसा की बलि नही दूंगा, वैसे इनकी बलि देकर धर्म और देश का उद्धार किया भी नही जा सकता”.
- गांधी जी एकाधिकार और विशेषाधिकार पर विश्वास नही रखते थे उनका मानना था की जिस फैसले से जनसाधारण के वह छोटे से छोटा व्यक्ति लाभान्वित न हो सके जो उसका हक़दार है ऐसा कोई भी निर्णय उनके लिए अमान्य था उनका मानना था की अंग्रेजो को देश से भागना ही असली आजादी नही है असल में आजादी तब कहलाएगी जब सरकार द्वारा बनाया गया कोई भी कानून उस व्यक्ति तक पहुच सके जो इसका असली हक़दार है.
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