Inflation Meaning in Hindi: दोस्तो बता दें की महंगाई दर का बढ़ना अथवा रोजमर्रा की इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ की कीमतों में उछाल आने को ही मुद्रास्फीति अथवा अंग्रेजी में Inflation कहते है आज हम इस लेख के माध्यम से यह जानेंगे की मुद्रास्फीति का क्या कारण होता है, इससे आम-जन के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के क्या उपाय किये जाते है.

Inflation अथवा मुद्रास्फीति के बढ़ने के कारण किसी देश की मुद्रा(Currency) की शक्ति कम हो जाती है अर्थात जैसे भारत की मुद्रा रुपया है तो रूपये का मूल्य का गिरना भी मुद्रास्फीति कहलाती है.
मान लीजिये आप कोई वस्तु जैसे कपडा, फल और सब्जिया या अनाज पहले 100 रूपये में खरीदते थे तो मुद्रास्फीति के कारण उनकी कीमत बढ़ जाती है और वही वस्तुए आपको 150 अथवा 200 में भी खरीदने पड़ती है जिससे लोगो के खरीदने की क्षमता भी कम हो जाती है.
मुद्रास्फीति और अपस्फीति(What is Inflation and Deflation in Hindi?)
जब हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओ जैसे खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, डीजल और अन्य की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती जाए जो की लगभग 5% या उससे अधिक की या उससे जादा हो जाए यह स्थिति अर्थशास्त्र में मुद्रास्फीति कहलाती है, इसमें वस्तुओ की कीमतों में इजाफा होता है चुकी डिमांड बहुत अधिक बढ़ जाती है.
ठीक इसी के विपरीत यदि हामरे उपयोग की वस्तुओ की कीमते लगातार घाट रहीं हो और घटती चली जाये तो ऐसे स्थिति Deflation यानी अपस्फीति कहलाती है इसमें वस्तु की डिमांड यानी मांग कम होती है और उनकी कीमते गिर जाती है इस स्थिति में उनको बनाने वाले मैन्युफैक्चरर को नुकसान उठाना पड़ता है.
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मुद्रास्फीति के प्रकार
डिमांड पुल मुद्रास्फीति
जब बाज़ार में लोग के पास बहुत अधिक पैसे आ जाये तो पैसे का फ्लो काफी बढ़ जाये ऐसी स्थिति में लोगो की खरीदने की क्षमता बढ़ जाती है और वह किसी भी चीज़ के अधिक कीमत देने को तैयार रहते है इस स्थिति को डिमांड पुल मुद्रास्फीति अथवा Demand Pull Inflation कहते है.
कॉस्ट पुश मुद्रास्फीति
जब बाज़ार में किसी वस्तु को बनाने वाले रॉ मटेरियल का मूल्य बढ़ जाता है तो उनसे जुड़े वस्तुओ और सर्विसेज का भी मूल बढ़ जाता है ऐसी स्थति को कॉस्ट पुल मुद्रास्फीति कहते है जैसे मान लीजिये की किसी धातु जैसे स्टील की कीमतों में इजाफा हो जाये तो उससे बनने वाली वस्तुयों जैसे गाडियों की कीमतों में भी इजाफा हो जाता है.
भारत में मुद्रास्फीति के कारण
दोस्तो मुद्रास्फीति बढ़ने के वैसे तो बहुत से कारण हो सकते है पर दो मुख्या कारण होते है जिनको समझना जरुरी है –
- मांग में वृद्धि और
- मूल्य में वृद्धि
जब लोगो के पास बहुत अधिक धन अर्जित हो जाता है तो वो उसे अनियमित रूप से खर्च करने लगता है और वह किसी भी वस्तु पर उसकी सामान्य मूल्य से अधिक भी देने तो तैयार रहता है जिससे उसकी डिमांड में वृद्धि हो जाती है.
साथ ही यह भी बता दें की जब किसी वस्तु की मांग में इजाफा होता है तो उसका मूल्य भी बढ़ने लगता है और एक समय ऐसा आ जाता है की उसका मूल्य बहुत अधिक दरों से बढ़ जाता है एक लिमिट से अधिक मूल्य वृद्धि मुद्रास्फीति कहलाती है.
जब बाज़ार में लोगो के अधिक पैसा होता हिया तो वह किसी वस्तु के लिए उसके मानक मूल्य से अधिक देने को भी तैयार हो जाते है जो उस वस्तु की मांग को बढ़ा देता है
मुद्रास्फीति के प्रभाव
दोस्तो मुद्रास्फीति का किसी देश की अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-
- हमारे डेली के उपयोग में आने वाली वस्तुओ का मूल्य वृद्धि होने से सरकारी तंत्री पर बुरा प्रभाव पड़ता है वही उन प्राइवेट कंपनियों जिनकी वस्तुओ की कीमते बढ़ जाए उनके निवेशको को अच्छा लाभ प्राप्त होता है बता दें की उत्पादन कंपनियों के अलावा कृषको को भी उनके द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थो का अच्छा मूल्य प्राप्त होता है.
- नौकरी पेशा लोगो पर मुद्रास्फीति का अनुकूल प्रभाव पड़ता है चुकी ऐसे व्यक्तयो की आय निश्चित होती है और कीमते बढ़ने के कारन उनकी जीवन यापन बुरा बुरा प्रभाव पड़ता है.
- आम आदमी पर सरकार द्वारा कर बाधा दिए जाते है चुकी ऐसी स्थिति में सरकार को अधिक पैसो की आवश्यकता होती है क्युकी पैसो का मूल्य कम हो जाता है.
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार और सेंट्रल बैंक(Reserve Bank of India) द्वारा तरह-तरह के उपाय किये जाते है जो इस प्रकार है-
- सरकार और केन्द्रीय बैंक द्वारा बाज़ार में बढ़ते मुद्रा की सख्या को नियंत्रित करने के लिए नये नोटों की छपाई पर रोक लगा दी जाती है जिससे और अधिक मुद्रा को बाज़ार में न उतरा जा सके.
- साथ ही बैंक दर तथा रेपो दर में वृद्धि करके उपभक्ताओ को प्रभावित किया जाता है की वो अपने पैसो को बैंक में जमा रखे जिसपर उसको अधिक ब्याज दिया जा सकता है.
- सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रि करने हेतु बाज़ार में मौजुद मुद्रा को बदला जा सकता है और उनकी जगह नई मुद्रा की पेस्कड़ की जा सकती है चुकी मार्किट में नकली नोटों का चलन बढ़ सकता है जिससे लोगो के पास अधिक पैसा होगा और वे उसे अनियमित रूप से खर्च कर सकते है.
- सरकार द्वारा बैंक ऋणों में बढ़ोतरी के साथ ही इनकम टैक्स यानी करों में भी वृद्धि की जा सकती है जिससे पैसे का फ्लो आम जनता से सरकार की तरफ हो सके.
- चुकी मुद्रास्फीति की स्थिति में बाज़ार में मौजूद वस्तुओ की मांग बढ़ जाती है अतः सरकार वस्तुओ के उत्पादन को बाधा कर उनकी मांग में कमी ल सकती है और मुद्रास्फीति को नियंत्रि किया जा सकता है.
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके का एक और सफल और कारगर उपाय होता है निवेश यानी बचत चुकी बचत करके हम आने वाले समय में अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते है और बचत एक अच्छी बात भी है क्यों की जरुरत के समय हमें पैसो की दिक्कत नही होती.
यह भी पढ़े- SIP क्या है इसमें कैसे निवेश करें? - सरकार द्वारा वस्तुओ के मूल्य निर्धारण और उनकी जमाख्री पर नियंत्रण करके भी मुद्रास्फीति को नियंत्रि किय जा सकता है.
सरकार द्वरा मुद्रास्फीति को कैसे मापा जाता है अथवा कैसे पता चलता है की मुद्रास्फीति की स्थिति आ चुकी है?
मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate) द्वारा यह ज्ञात किया जाता है की वस्तुयों की किसी एक वर्ष मे के बिच की कीमतों में कितने दर से इजाफा हुआ है यदि यह इजाफा लगभग 5% से अधिक हो और बढती चली जा रही हो तो वह स्थिति मुद्रास्फीति (Inflation) कहलाती है.
मुद्रास्फीति मापने के सूचकांक क्या है?
थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) तथा औद्योगिक श्रमिक हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index)hindi
Reference:
- Wikipedia
- The Financial Express
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