Shardiya Navratri 2022: भारत देश भक्ति और उपासना के लिए जाना जाता है खासकर नवरात्री का त्यौहार जिसे हर भारतवासी हर्षौल्लास के साथ मनाता है इस पूजा में माँ आंबे की पूजा उपासना की जाती है वैसे तो यह नवरात्री साल में दो बार आती है एक चैत्र नवरात्री और दूसरी शारदीय नवरात्री. चैत्र नवरात्री अप्रैल महीने में आता है और शारदीय नवरात्री अक्टूबर के महीने में. चैत्र नवरात्री ज्यादातर उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है शारदीय नवरात्री पुरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है.

नवरात्री का त्यौहार कोलकाता में बेहद प्रचलित है यह बंगाली रीतिरिवाज से धूमधाम के साथ मनाया जाता है यह ऐसी मान्यता है की माता अपने मायिके आती है और पुरे 9 दिन रहती है इसीलिए पुरे 9 दिन विधिविधान से इनकी पूजा की जाती है बंगाली समुदाय के लोग नवरात्री में सिंदूर खेला जैसी रस्म करते है जिसमे विवाहित महिलाएं एक दुसरे को सिंदूर लगाती है या होली खेलती है जिसे देखने के लिए दूर दराज से पर्यटक पहुचते है वाही नवरात्री में गुजरात में गरबा नृत्य का बेसब्री से इन्तेजार किया जाता है अब तो यह देश विदेश में भी प्रचलित हो गया है.
Shardiya Navratri 2022: इस बार 26 सितम्बर को है प्रथम दिन की नवरात्री
इस वर्ष नवरात्री का पर्व 26 सितम्बर को शुरू हो रहा है यह पुरे 10 दिनों तक चलेगाप्रथम दिन बहुत से लोग उपवास करके पुरे विधि-विधान से माँ की उपासना करते है ऐसी मान्यता है की भगवन राम जब लंका पर चढ़ाई करने वाले थे तो युद्ध से पहले उन्होंने माँ का आवाहन कर माँ का आशीर्वाद प्राप्त किया था.
नवरात्री में होती है माँ के 9 रूपों की पूजा उपासना
नवरात्री में भक्त माता के 9 रूपों की पूजा करते है माँ के सभी रूप अलग अलग है एवं उन्की पूजा विधि भी माँ महिमा भी उनके रूप की तरह उनके भक्तो पर पड़ती है-
1. शैलपुत्री
प्रथम दिन माता के इस रूप की पुरे विधि विधान से पूजा की जाती है बहुत से घरो में पुजारी के द्वारा कलश स्थापना भी करायी जाती है जिसमे पुजारी द्वारा पुरे 9 दिनों तक पुरे नियम एवं सैयम से दुर्गा शप्तशती का पाठ किया जाता है एवं 10 वें दिन घर में हवन पूजन होता है हिमालय की पुत्री होने की वजह से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा यह अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमाल को धारण किये हुए होती हैंइनके पूजन से ही 9 दिनों की नवरात्री आरम्भ होती है.
2. माँ ब्रह्मचारिणी
यह माता का दूसरा रूप है हर स्वरुप अपने आप में अद्वितीय है भगवन शंकर को पति रूप प्राप्त करने हेतु कठोर ताप के कारण यह ब्रह्मचारिणी कहलायीं, यह अपने दाहिने हाथ में कमंडल तो यहीं बायें हाथ में माला धारण करती है.
3. चन्द्रघंटा माता
यह माता तीसरे दिन का स्वरुप है ऐसा माना जाता है की इनमे ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनो की शक्तिया समाहित है माता के मस्तक पर अर्धचन्द्र विराजमान है इसीलिए यह चन्द्रघंटा कहलायीं, इनके पूजन से सभी नकारात्मक शक्तिया दूर भागती है इनका यह रूप अत्यंत कल्याणकारी है.
4. माँ कुष्मांडा
यह चौथे दिन पूजा जाने वाला स्वरुप है कहा जाता है की इनके मुखड़े पर जो मंद हसी है उसी से ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ, यह 8 भुजा लिए, उनमे धनुष, बाण, चक्र, अमृत, कमाल, गदा, कमंडल और माला धारण किये हुए है यह उर्जा और उन्नति प्रदान करती है इनका यह स्वरुप अत्यंत पूजनीय है.
5. स्कन्दमाता
यह माता का पांचवा स्वरुप है यह अपनी गोद में भगवन कार्तिकेय को लिए हुयी है कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कन्द भी था इसीलिए इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है यह सिंह पर विराजमान है इनका यह स्वरुप मन को मोह लेने वाला है यह चतुर्भुजी है यह वर मुद्रा में विराजित है इनका यह स्वरुप भक्तो पर अपनी कृपा बरसाता है.
6. कात्यायनी माता
यह माता का छठा रूप है यह ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था इसीलिए इनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा इनकी चार भुजाएं, इनका स्वरुप काफी तेज़ से परिपूर्ण है ऐसा माना जाता है की कुवारी कन्याओ को इनका पूजन करने से मनचाहा वर प्राप्त होता है.
7. माँ कालरात्रि
यह माता का सप्तम रूप है हर नवरात्री सप्तमी तिथि को इनकी आराधना की जाती है इनका यह स्वरुप प्रचंड है ऐसा कहा जाता है की रक्तबीज नामक राक्षस का वध करने के लिए इन्होने यह प्रचंड रूप धारण किया था यह अपने भक्तो पर सदैव कृपा बरसाती है इनकी भक्ति करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है इनका यह स्वरुप भक्तो को कई प्रकार के दुखो से मुक्ति दिलाने वाला है.
8. महागौरी माता
यह माता के 8वें दिन का स्वरुप है इनकी आराधना नवरात्री में दुर्गा अस्टमी के दिन होती है यह स्वेत वस्त्र और आभूषण धारण किये हुए नंदी पर विराजमान होती है इनका हाथ अभयमुद्रा में रहता है यह माता वरदायनी है इनका यह स्वरुप भक्तो को सुख, समृद्धि एवं शांति प्रदान करने वाला है.
9. सिद्धिदात्री माता
इनकी पूजा नवरात्री के नवमी तिथि को की जाती है जैसा की इनके नाम से ज्ञात हो रहा है की यह सिद्धि प्रदान करने वाली माता है ऐसा माना जाता है की इन्ही की सिद्धियों से भगवन शंकर का शरीर आधा यानी अर्द्ध-नारिश्वर का हुआ, इनका वहां सिंह है यह कमाल के फूल पर विराजमान है इनका पूजन करने से भक्तो को माता की कृपा के साथ-साथ सम्पूर्ण सिद्धिया प्राप्त होती है यह भक्तो पर अपनी कृपा बरसाती है.
5 अक्टूबर को है दशहरा
नवरात्री के दशवें दिन लोग हवन पूजन के साथ दशहरा का पर्व मनाते है भगवन राम ने लंकापति रावण का वध कर लंका दहन किया था इसीलिए इस दिन दशहरा पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है कई जगहों पर रावन के बड़े बड़े पुतले फुकें जाते है इस बार दशहरा 5 अक्टूबर को है नवरात्री का त्यौहार हिन्दू धर्म में बड़ी ही पवित्रता एवं हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है दशहरा पर्व पर कई जगह मेले इत्यादि का आयोजन किया जाता है दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है इसीलिए इस नवरात्री मन की सारी बुराइयों को त्यागकर यह त्यौहार पुरे सौहाद्र एवं उल्लास के साथ मनाईये.
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