Shardiya Navratri 2022: नवरात्री पर्व शुरू हो चूका है जगह जगह माँ की पूजा अर्चना धूमधाम से की जा रही है नवरात्री पर्व हिन्दू धर्म में बहुत ही श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है यह एक पावन त्यौहार है जिसे हिन्दू धर्म में बहुत ही हर्ष और शादगी के साथ मनाया जाता है. वैसे तो बिन मांगे झोलिया भारती है लेकिन इस त्यौहार को हम पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाये तो यह जरुर शुभ फल देतीं है आज हम बात करेंगे की माँ के उपासना में हर दिन यानी 9 दिनों तक माँ के अलग अलग रूपों के हिसाब स कपडे धारण कर माता की अर्चना करने के चमत्कारिक लाभ के बारे में.

माँ शैलपुत्री की उपासना में लाल या पीला रंग
नवरात्री के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा नवरात्री में माँ के इस रूप की पूजा लाल या पीले रंग के कपडे धारण करके करने से माता अत्यंत प्रसन्न होती है तथा घर में शुख समृद्धि प्रदान करती है लाल रंग तो माँ की पूजा के लिए होता ही है पहले दिन लाल रंग धारण करने से मनोकामना पूर्ण होती है माता की पूजा में रंगों का विशेष महत्व है.
माता ब्रह्मचारिणी
यह माता का दूसरा रूप है यह रूप अत्यंत शुभ फल देने वाला है इनके एक हाथ में कमंडल तो दुसरे हाथ में माला धारण किये हुए है माता ब्रह्मचारिणी की पूजा हरे रंग का वस्त्र धारण करके करनी चाहिए माता को हरा रंग पसंद है हरे रंग का वस्र धारण कर माता की उपासना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है उनके जीवन में शुख, शांति, विकाश, सद्भावना एवं उर्जा का संचार होता है.
माता का तीसरा रूप चंद्रघान्टा
माता चंद्रघान्टा के मस्तक पर अर्धचन्द्र शुशोभित है यह माता के तीसरे दिन का स्वरुप है इस दिन भूरे या ग्रे रंग के वस्त्र पहन कर जो भी इनकी आराधना करता है उनके जीवन में बुराइयों का नाश होता है, सकारात्मकता बढती है एवं घर में शुख शांति का वाश होता है.
माँ कुष्टमांडा
यह माता का नवरात्री के चौथे दिन का स्वरूप है माँ को नारंगी रंग पसंद है इसीलिए इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र धारण कर पुरे विधि विधान से माता की इस स्वरुप की पूजा करनी चाहिए इससे माता प्रसन्न होकर अपने भक्तो के जीवन में प्रसन्नता लाती है एवं घर में भी हशी ख़ुशी का माहौल बना रहता है साथ ही सकारात्मक भाव का संचार भी बना रहता है माता का यह स्वरुप अत्यंत कल्याण करी है.
माता का पांचवा स्वरुप स्कन्दमाता
माता के इस स्वरुप की पूजा नवरात्री के पाचवे दिन होती है जैसा की माता कार्तिकेय को अपने गोद में लिय हुए विराजमान है इसीलिए इनकी पूजा अर्चना सफ़ेद रंग के वस्त्र धरना कर करनी चाहिए माता का यह स्वरुप अत्यंत शुभ फल देने वाला होता है सफ़ेद रंग जीवन के कष्ट को दूर कर जीवन में शांति, एकाग्रता और पवित्रता के सतज सकारात्मकता का संचार करता है.
माँ कात्यायनी
नवरात्री में पूजा जाने वाला माता का यह छठा रूप है इन्होने महिषासुर का संहार किया था इसीलिए इन्हें युद्ध की देवी भी कहा जाता है इनकी पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए यह रंग शत्रुओ का नाश करने वाला होता है यह जीवन में क्रोध और नकारात्मकता को नष्ट कर जीवन में नयी चेतना और सकारात्मक विचारो का संचार करता है माँ का यह स्वरुप अपने भक्तो को विशेष फल प्रदान करता है.
माँ कालरात्रि, नवरात्री का सातवा दिन
नवरात्री के सातवे दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है माता का स्वरुप जिस प्रकार से क्रोधित एवं भयानक है इन्होने राक्षस का संहार करने के लिए यह स्वरुप लिया था जिससे इनको काली माता भी पुकारते है इनको नीला रंग पसंद है इनकी पूजा में नीले वस्त्र धारण करने चाहिए.
महागौरी आठवा दिन
नवरात्री के अस्ठ्मी तिथि को इनकी पूजा होती है माता का यह स्वरुप शांत, सुन्दर एवं मृदुल है इनकी पूजा में गुलाबी वस्त्र धारण करने चाहिए माँ का यह स्वरुप आशीर्वाद प्रदान करने वाला होता है यह वर मुद्रा में विराजमान होतीं है जो भी व्यक्ति माँ के इस स्वरुप की पूजा करता है इसके जीवन में सभी दुःख मिट जाते है एवं जीवन में नयी खुशियाँ शुख, शांति, आशा एवं समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है.
माँ सिद्धिदात्री
यह माँ का अंतिम स्वरुप है जो नवरात्री के नवे दिन पूजा जाता है माँ की पूजा में बैंगनी रंग धारण कर इनकी आराधना की जाती है यह सम्पूर्ण सिद्धियों को धारण कर अपने भक्तो की हर मनोकामना को पूर्ण करतीं हैं एवं उनमे दर को पराजित कर निर्भय एवं निडर बनती हैं तथा आत्मा विश्वास और नयी उर्जा का संचार करती है.
इस प्रकार माता के 9 रूपों की पूजा हर दिन अलग अलग वस्त्रो को धारण कर, करने से माता का विशेष फल मिलता है माता प्रसन्न होकर जीवन के हर बाधा को दूर कर नयी उर्जा एवं शुख शांति का वरदान देती है माँ की विशेष आराधना करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते है. जय माता दी.