करवाचौथ का व्रत भारत में सुहागिनें रखती है पतिव्रता पत्नियों के साथ ही यह व्रत कई जगह पर कुवारी लडकिया भी रखती है करवाचौथ का व्रत अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक है ऐसी मान्यता है की जो भी व्रत रखता है करवा माता उसके सुहाग को सलामत रखती है व दीर्धायु बनती है इस व्रत में करवाचौथ की कहानी का बड़ा महत्व है पुरे सोलह सृंगार करके व्रती महिलाये ये व्रत रखती है एवं करवाचौथ की कथा(कहानी) सुनती है, ऐसा माना गया है की करवाचौथ का व्रत करने एवं व्रत कथा, कहानी ध्यान से सुनने से पति की आयु लम्बी होती है एवं सुख समृद्धि में वृद्धि होती है. आज हम आपको करवाचौथ कब है? करवाचौथ व्रत कथा और इसके महत्व क्या है? इसकी जानकारी इस लेख के माध्यम से आपलोगों को बतायेंगे.

करवाचौथ कब है? 2022
करवाचौथ का व्रत अक्टूबर महीने में होता है और इस वर्ष 13 अक्टूबर के है करवाचौथ. यह व्रत सुहागिनों के लिए सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है यह व्रत सुहागिन महिलाये अपने पति के लम्बी उम्र के लिए रखती है एवं उनके सुख की कामना करती है.
करवा माता के साथ शिव पार्वती की भी होती है पूजा
ऐसी मान्यता है की करवाचौथ पर करवा माता के साथ साथ शिव और पार्वती की भी पूजा की जाती है शिव और पार्वती अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक है इसीलिए व्रती महिलाये पुरे विधि विधान से यह व्रत रखती है.
करवाचौथ व्रत कथा- साहूकार के सात लड़के
वैसे तो करवाचौथ की कई कहानिया है उनमे से मुख्य रूप से साहूकार की कथा है जो करवाचौथ पर सभी व्रती महिलाये जरूर सुनती है-
“एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार पत्नी सहित उसकी सातो बहुये और बेटी सभी ने एक साथ करवाचौथ का व्रत रखा रात्रि के समय जब साहूकार के सातो बेटे भोजन करने बैठे, तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाना खाने के लिए बुलाया, आओ बहन खाना खालो, इसपर बहन बोली, नही आज करवाचौथ का व्रत है चाँद निकलने के बाद ही खाना खाउंगी, ऐसा सुनकर साहूकार के बेटे बहार निकल गए और पेड़ पर चढ़कर आग जलाकर नकली चाँद बना दिया, देखो बहन चाँद निकल आया खाना खालो, इसपर साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा, चलो चाँद निकल आया है खाना खा लेते है, इसपर भाभियों ने कहा तुही खाना खा हम नही जायेंगे, तेरे भाइयो ने नकली चाँद बनाकर तुझे दिखा दिया है, बहन नही मानी और वह अपने भाइयो के साथ खाना खाने चली गयी.
ऐसा करने के कारन गणेश भगवान उसपर कुपित हो गए और गणेश भगवान की अप्रसन्नता के कारन उसका पति बीमार रहने लगा, और घर का सारा धन उसकी बीमारी में लग गया, साहूकार की बेटी को अपने द्वारा किये गए सभी दोषों का पता लगा, तो यूज़ बड़ा पश्चाताप हुआ उसने भगवान गणेश से अपनी गलतियों के क्षमा मांगी, उसने प्रार्थना की और फिर से पुरे विधि विधान से करवाचौथ का व्रत और पूजन किया, वह उपस्थित सभी लोगो का आशीर्वाद लेकर अपना व्रत पूर्ण किया, इस प्रकार उसकी श्रद्धा और भक्ति को देखकर विघ्नहर्ता भगवान गणेश उसपर प्रसन्न हो गये, उसके पति को सभी रोगों, कष्टों से मुक्त कर दिया और जीवनदान दिया, साहूकार की बेटी को उसका सौभाग्य लौटते हु, यूज़ धन और वैभव प्रदान किया”.
चन्द्रमा को देते है अर्घ
करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाये पुरे सोलह सृंगार कर निर्जला व्रत रखती है करवाचौथ का पुरे नियम और संयम से पूजन कर चंद्रदेव का पूजन करती है उन्हें अक्षत, फूल, रोली, प्रसाद चढ़ाकर गाय के कच्चे दूध एवं गंगाजल से चंद्रदेव को अर्घ देती है एवं धूप बत्ती दिखाकर छलनी से निहारती है फिर पति का चेहरा देखकर अपने व्रत को पूर्ण करती है और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती है.
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